परोपकार का जीवंत स्वरूप दर्शाता - मानव एकता दिवस, मनुष्य का जीवन परोपकार के प्रति समर्पित हो: सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
- By Vinod --
- Thursday, 25 Apr, 2024
Human Unity Day shows the vibrant form of philanthropy
Human Unity Day shows the vibrant form of philanthropy- मोहालीI “निरंकार प्रभु ने हमें यह जो मानव जीवन दिया है इसका प्रत्येक पल मानवता के प्रति समर्पित हो सके; परोपकार का ऐसा सुंदर भाव जब हमारे हृदय में उत्पन्न हो जाता है तब वास्तविक रूप में समूची मानवता हमें अपनी प्रतीत होने लगती है। फिर सबके भले की कामना ही हमारे जीवन का लक्ष्य बन जाता है।“ उक्त उद्गार सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने ‘मानव एकता दिवस’ के अवसर पर समस्त श्रद्धालु भक्तों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये।
मानव एकता दिवस का पावन अवसर चंडीगढ़ ज़ोन के ज़ोनल इंचार्ज श्री ओ पी निरंकारी जी ने बताया कि बाबा गुरबचन सिंह जी की मानवता के प्रति की गयी उनकी सच्ची सेवाओ को समर्पित है जिससे निरंकारी जगत का प्रत्येक भक्त प्रेरणा लेकर अपने जीवन का कल्याण कर रहा है।
संत निरंकारी मिशन की सामाजिक शाखा संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा आज संपूर्ण भारतवर्ष के लगभग 207 स्थानों पर विशाल रूप में रक्तदान शिविर की श्रंखलाओं का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 50,000 युनिट रक्त संग्रहित किया गया। साथ ही दिल्ली के ग्राउंड नं0 2 निरंकारी चैक, बुराड़ी में आयोजित रक्तदान शिविर में सभी रक्तदाताओं ने अत्यंत उत्साहपूर्वक स्वैच्छिक भाव से लगभग 15,00 युनिट रक्तदान किया। इस अवसर पर निरंकारी राजपिता रमित जी ने भी रक्तदान किया, जो मिशन के भक्तों एवं युवा सेवादारों के लिए निसंदेह प्रेरणा का स्त्रोत रहा। इन सभी रक्तदान शिविरों में रक्तदान से पूर्व की जाने वाली जाँच एवं स्वच्छता की ओर विशेष रूप से ध्यान दिया गया। इसके साथ ही रक्तदाताओं हेतु उत्तम रूप में जलपान की भी समुचित व्यवस्था की गई।
मानव एकता दिवस के अवसर पर रक्तदान शिविर में जन समूह को सम्बोधित करते हुए सतगुरु माता जी ने फरमाया कि सेवा का भाव सदैव निष्काम ही रहा है। ऐसी भावना जब हमारे मन में बस जाती है तब हमारा जीवन वास्तव में मानवता के कल्याणार्थ समर्पित हो जाता है। ऐसा ही परोपकारी जीवन बाबा गुरबचन सिंह जी की दिव्य सिखलाईयों का आधार रहा है।
निष्काम सेवा के सुंदर भाव का जिक्र करते हुए सतगुरू माता जी ने समझाया कि जब हमारे मन में निष्काम सेवा का भाव उत्पन्न हो जाता है तब यह संसार और भी अधिक सुंदर लगने लगता है क्योंकि तब हमारी सेवा भावना साकार एवं कर्म रूप में समस्त मानव परिवार के लिए वरदान बन जाती है।
रक्तदान, मानव जीवन को बचाने हेतु की जाने वाली एक ऐसी सर्वोपरि सेवा है जिसमें परोपकार की निःस्वार्थ भावना निहित है।